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उज्जैन में दिखा हरि-हर मिलन का भव्य नजारा:बाबा महाकाल ने उमा महेश स्वरूप में दिए दर्शन; सवारी में उमड़े लाखों श्रद्धालु
सावन के चौथे सोमवार को उज्जैन में भगवान महाकाल की भव्य सवारी निकली। चांदी की पालकी में सवार बाबा महाकाल ने उमा महेश के स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए। सवारी में लाखों श्रद्धालु उमड़े। जगह-जगह सवारी का स्वागत हुआ। सवारी के दौरान सबसे खास नजारा गोपाल मंदिर पर दिखा। यहां हरि से हर का मिलन हुआ।
सवारी के दौरान इस बार कड़ी सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली। ड्रोन से सवारी मार्ग की निगरानी की गई। एक हजार सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई थी। जो पूरे मार्ग में सवारी के साथ चले। रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) भी तैनात की गई।
गोपाल मंदिर पर हुआ हरि-हर मिलन
बाबा महाकाल की सवारी जैसे ही गोपाल मंदिर पहुंची। पूरा माहौल हरि और हर के नारों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए। मंदिर पर आकर्षक लाइटिंग की गई थी।
राजाधिराज को बंदूकों से दी गई सलामी
इससे पहले शाम करीब 4 बजे महाकालेश्वर मंदिर से बाबा महाकाल की सवारी शुरू हुई। यहां कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और आवाहन अखाड़े के महामंडलेश्वर अतुलेशानंद जी ने सवारी की पूजा-अर्चना की।
सशस्त्र सुरक्षाबलों ने बंदूकों से बाबा महाकाल को सलामी दी। इसके बाद राजाधिराज महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने निकले। एसपी सचिन शर्मा, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और नगर निगम कमिश्नर रोशन सिंह तीनों घोड़े पर बैठकर सवारी के आगे चले।
सवारी में शामिल हुए लाखों श्रद्धालु
बाबा महाकाल की सवारी में लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। जगह-जगह बाबा महाकाल का पूजन-अर्चन किया गया। सवारी के स्वागत के लिए जगह-जगह रंगोली बनाई गई। शाम करीब 5:45 बजे सवारी शिप्रा नदी के घाट पर पहुंची। यहां बाबा महाकाल का अभिषेक किया गया। इसके बाद सवारी गोपाल मंदिर पर पहुंची। यहां हरि-हर मिलन के बाद सवारी वापस महाकाल मंदिर के लिए रवाना हो गई। करीब 8 बजे सवारी महाकाल मंदिर पहुंची। यहां भगवान महाकाल का पूजन किया गया।
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इन मार्गों से गुजरी सवारी
इसके साथ ही, भगवान के पिछले स्वरूप चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश स्वरूप, गरुड़ पर सवार भगवान शिव तांडव की प्रतिमा भी शामिल रहीं। सवारी से पहले महाकालेश्वर मंदिर स्थित सभा मंडप में भगवान का पूजन-अर्चन किया गया। सवारी मंदिर से प्रारंभ होकर कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंची। यहां शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर पूजन किया गया। पूजन के बाद सवारी परंपरागत मार्ग से होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंची।
सुबह 10 बजे तक 1.70 लाख भक्तों ने किए दर्शन
इससे पहले तड़के 2.30 बजे महाकालेश्वर पट खुलते ही मंदिर भगवान शिव के जयकारों से गूंज उठा। रात 12 बजे रिमझिम बारिश के बीच भक्त लाइन में लगना शुरू हो गए थे। सुबह 10 बजे तक महाकालेश्वर मंदिर में 1.70 लाख भक्तों ने दर्शन लाभ लिए।
तड़के भस्म आरती में बाबा महाकाल को दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन कर भस्म अर्पित की गई। भगवान महाकाल का भांग, चंदन और आभूषणों से राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार कर आरती की गई। शाम 4 बजे सवारी निकाली जाएगी। आज तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।
दर्शनों का सिलसिला दिन भर चलता रहेगा। यह रात 10.45 पर शयन आरती के बाद समाप्त होगा। बाबा महाकाल लगातार 20 घंटे तक भक्तों को दर्शन देंगे। मंगलवार 4 जुलाई से सावन महीने की शुरूआत हुई है।
महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार
पुजारी महेश गुरु ने बताया कि तड़के भस्म आरती में भगवान महाकाल का पहला पूजन किया गया। पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का जलाभिषेक कर दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से बने पंचामृत से बाबा का पूजन किया। हरि ओम जल चढ़ाकर कपूर आरती के बाद भांग, चंदन और अबीर के साथ महाकाल के मस्तक पर ऊँ, चंद्र और त्रिपुंड अर्पित कर राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। श्रृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढक कर भस्म रमाई गई। आखिरी में भगवान की विशेष भस्म आरती की गई।
इतनी सवारियां निकाली जाएंगी
- पांचवीं सवारी: 7 अगस्त 2023
- छठी सवारी: 14 अगस्त 2023
- सातवीं सवारी: 21 अगस्त 2023
- आठवीं सवारी: 28 अगस्त 2023
- नौवीं सवारी: 4 सितंबर 2023
- अंतिम शाही सवारी: 11 सितंबर 2023